Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन
(पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर)
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. क्षार का जलीय विलयन
(क) नीले लिटमस को लाल कर देता है।
(ख) लाल लिटमस को नीला कर देता है।
(ग) लिटमस विलयन को रंगहीन कर देता है।
(घ) लिटमस विलयन पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
2. अम्ल व क्षार के विलयन होते हैं विद्युत के–
(क) कुचालक
(ख) सुचालक
(ग) अर्द्धचालक
(घ) अप्रभावित
3. pH किन आयनों की सान्द्रता का ऋणात्मक लघुगणक होती है?
(क) [H2O]
(ख) [OH-]
(ग) [H+]
(घ) [Na+]
4. किसी अम्लीय विलयन की pH होगी
(क) 7
(ख) 14
(ग) 11
(घ) 4
5. हमारे उदर में भोजन की पाचन क्रिया किस माध्यम में होती है
(क) अम्लीय
(ख) क्षारीय
(ग) उदासीन
(घ) परिवर्तनशील
6. अग्निशामक यंत्र बनाने में निम्न पदार्थ का प्रयोग किया जाता है
(क) सोडियम कार्बोनेट
(ख) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
(ग) प्लास्टर ऑफ पेरिस
(घ) सोडियम क्लोराइड
7. धावन सोडा होता है..
(क) NaHCO3
(ख) NaCl
(ग) CaSO4.½H2O
(घ) Na2CO3.10 H2O
8. विरंजक चूर्ण वायु में खुला रखने पर कौन सी गैस देता है?
(क) H2
(ख) O2
(ग) Cl2
(घ) CO2
9. साबुन कार्य करता है
(क) मृदु जल में
(ख) कठोर जल में
(ग) कठोर व मृद दोनों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
10. मिसेल निर्माण में हाइड्रोकार्बन पूंछ होती है
(क) अंदर की तरफ
(ख) बाहर की तरफ
(ग) परिवर्तनशील
(घ) किसी भी तरफ
11. प्रोटॉन [H+] ग्रहण करने वाले यौगिक होते हैं
(क) अम्ल
(ख) लवण
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) क्षार
उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (ख)
3. (ग)
4. (घ)
5. (क)
6. (ख)
7. (घ)
8. (ग)
9. (क)
10. (क)
11. (घ)।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
लाल चींटी के डंक में कौनसा अम्ल पाया जाता है?
उत्तर-
लाल चींटी के डंक में फार्मिक अम्ल (HCOOH) पाया जाता है।
प्रश्न 13.
प्रोटॉन त्यागने वाले यौगिक क्या कहलाते हैं ?
उत्तर-
प्रोटॉन त्यागने वाले यौगिक अम्ल कहलाते हैं।
प्रश्न 14.
उदासीनीकरण से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अम्ल क्षारों से अभिक्रिया करके अपने गुण खो देते हैं तथा उदासीन हो जाते हैं। यह क्रिया उदासीनीकरण कहलाती है। इसमें लवण तथा जल बनते हैं।
उदाहरण- NaOH + HCl → NaCl + H2O
प्रश्न 15.
पेयजल को जीवाणुमुक्त कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-
पेयजल को विरंजक चूर्ण (CaOCl2) द्वारा जीवाणुमुक्त किया जा सकता है।
प्रश्न 16.
अम्ल से धात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया किस प्रकार होती है? समीकरण दें।
उत्तर-
अम्ल, धात्विक ऑक्साइड से क्रिया करके लवण व जल बनाते हैं।
उदाहरण- 2HCl अम्ल + MgO धात्विक ऑक्साइड → MgCl2 लवण + H2Oh
प्रश्न 17.
pH में p एवं H किसको सूचित करते हैं?
उत्तर-
pH में p एक जर्मन शब्द पुसांस अर्थात् शक्ति तथा H, हाइड्रोजन आयनों का सूचक है।
प्रश्न 18.
हमारे उदर में उत्पन्न अत्यधिक अम्लता से राहत पाने के लिए क्या उपचार लेंगे?
उत्तर-
हमारे उदर में उत्पन्न अत्यधिक अम्लता से राहत पाने के लिए दुर्बल। क्षार जैसे मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] जिसे मिल्क ऑफ मैग्नीशिया भी कहते हैं, का प्रयोग किया जाता है जो कि एन्टएसिड होता है।
प्रश्न 19.
सोडियम के दो लवणों का नाम लिखें।
उत्तर-
- धावन सोडा (सोडियम कार्बोनेट)-Na2CO2.10H2O
- साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड)-NaCl
प्रश्न 20.
लुइस के अनुसार क्षार की परिभाषा दें।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन धनी या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म युक्त यौगिक इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागते हैं, इन्हें लुइस क्षार कहते हैं। जैसे NH3
प्रश्न 21.
साबुनीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उच्च वसा अम्लों को सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन बनता है। इस प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
प्रश्न 22.
अपमार्जक की क्या विशेषता है?
उत्तर-
अपमार्जक कठोर जल तथा मृदु दोनों ही प्रकार के जल में सफाई का कार्य करते हैं।
प्रश्न 23.
हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर चढ़ाने में किस यौगिक का प्रयोग किया जाता है?
उत्तरे-
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4.½H2O)
प्रश्न 24.
एक विलयन में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता 1 x 10-4 gm mole L-1 है। विलयन का pH मान ज्ञात करें। बताइए कि यह विलयन अम्लीय होगा या क्षारीय?
उत्तर-
pH = – log [H+]
pH = – log [1 x 10-4]
pH = – (log 1 + log 10-4)
pH = – (0 – 4 log 10)
pH = 4
यह विलयन अम्लीय होगा क्योंकि अम्लीय विलयन की pH, 7 से कम होती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 25.
दो प्रबल अम्ल एवं दो प्रबल क्षारों के नाम तथा उपयोग लिखें।
उत्तर-
(a) प्रबल अम्ल-
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)-यह अम्लराज बनाने में प्रयुक्त होता है जो कि सोने जैसी धातु को भी विलेय कर देता है। अम्लराज बनाने के लिए इसे HNO3 के साथ मिलाया जाता है।
- सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)-यह सेल, कार बैटरी तथा उद्योगों में काम आता है।
(b) प्रबल क्षार-
- सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)-इसे बॉक्साइट के धातुकर्म तथा पेट्रोलियम के शोधन में प्रयुक्त किया जाता है।
- पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)-इसे साबुन तथा अन्य उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 26.
साबुन एवं अपमार्जक में अंतर बताइए।
उत्तर-
साबुन और अपमार्जक में अन्तर
प्रश्न 27.
आरेनियस के अनुसार अम्ल एवं क्षार की परिभाषाएं लिखिए।
उत्तर-
आरेनियस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में H+
या H3O+ देते हैं। जलीय विलयन में H+ स्वतंत्र नहीं रहता। यह H2O से क्रिया करके H3O+ बना लेता है। जैसे-HCl, HNO3 इत्यादि।
क्षारक वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में OH- (हाइड्रॉक्साइड). आयन देते हैं। जैसे-NaOH, KOH इत्यादि।
प्रश्न 28.
pH किसे कहते हैं? अम्लीय एवं क्षारीय विलयनों की pH परास को स्पष्ट करें।
उत्तर-
pH स्केल किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता को मापता है।
अर्थात् हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के ऋणात्मक लागेरिथ्म (लघुगणक) को pH कहते हैं।
pH = – log10 [H+]
H+ जल से क्रिया करके [H3O+] हाइड्रोनियम आयन बनाते हैं। अतः pH को निम्न प्रकार भी दिया जाता है
pH = – log10 [H3O+]
[H+] आयनों की सान्द्रता जितनी अधिक होगी pH का मान उतना ही कम होगा। जल उदासीन होता है जिसके उदासीन लिए [H+] तथा [-OH] आयनों की सान्द्रता 1 x 10-7 मोल/लिटर होती हैं। अतः इसकी pH 7 होगी।
इस प्रकार
pH = 0 से < 7 तक विलयन अम्लीय,
pH = 7 विलयन उदासीन,
pH > 7 से 14 तक विलयन क्षारीय होता है।
प्रश्न 29.
क्रिस्टलन जल किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर-
किसी लवण के इकाई सूत्र में उपस्थित जल के अणुओं की निश्चित संख्या को क्रिस्टलन जल कहते हैं। जैसे-Na2CO3.10H2O
यहाँ सोडियम कार्बोनेट लवण में 10 अणु जल के क्रिस्टलन जल के रूप में हैं। अन्य उदाहरण –
CaSO4.2H2O, (जिप्सम) K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O.(फिटकरी)
प्रश्न 30.
क्या होता है जब
- दही या खट्टे पदार्थों को धातु के बर्तनों में रखा जाता है?
- रात्रि में भोजन के पश्चात् दाँतों को साफ नहीं किया जाता है?
उत्तर-
- दही एवं खट्टे पदार्थ अम्लीय होते हैं। अतः जब इन्हें पीतल एवं ताँबे जैसी धातुओं के बर्तनों में रखा जाता है, तो ये अम्लों की उपस्थिति के कारण पीतल एवं ताँबा की सतह से क्रिया कर विषैले यौगिकों का निर्माण करते हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
- रात्रि में भोजन के पश्चात् दाँतों को साफ नहीं करने पर मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं, ‘जिससे मुख की pH कम हो जाती है तथा pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों के इनैमल का क्षय होने लगता है।
प्रश्न 31.
एक यौगिक A अम्ल H2SO4, से क्रिया करता है तथा बुदबुदाहट के साथ गैस B निकालता है। गैस B जलाने पर फट-फट ध्वनि के साथ जलती है। A व B का नाम बताइए तथा अभिक्रिया का समीकरण दें।
उत्तर-
तत्व A, जिंक (Zn) है तथा गैस B, हाइड्रोजन है, जिसे जलाने पर यह फट-फट की ध्वनि के साथ जलती है।
समीकरण- Zn(s) जिंक + H2SO4(aq) सल्फ्यूरिक अम्ल, → ZnSO4(aq) जिंक सल्फेट + H2(g) हाइड्रोजनhttps:/
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 32.
ब्रांस्टेड-लोरी तथा लुइस के अनुसार अम्ल एवं क्षार को स्पष्ट करें।
उत्तर-
ब्रांस्टेड-लोरी संकल्पना–ब्रांस्टेड-लोरी के अनुसार ‘अम्ल प्रोटॉन दाता होते हैं तथा क्षार प्रोटॉन ग्राही होते हैं।” उन्होंने संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी क्षारक की अवधारणा भी दी।
(HA – A–) को अम्ल-संयुग्मी क्षार युग्म तथा (B – HB+) को क्षारसंयुग्मी अम्ल युग्म कहते हैं।
उदाहरण-
यहाँ जल प्रोटॉन दाता है अतः यह अम्ल है, यह प्रोटॉन देकर संगत संयुग्मी क्षार (OH–) में परिवर्तित हो जाता है। अमोनिया (NH3) प्रोटॉन ग्राही है, अतः यह क्षार है और यह प्रोटॉन ग्रहण करके संगत संयुग्मी अम्ल (NH4+) अमोनियम आयन में परिवर्तित हो जाता है। NH4+ – NH3 तथा H2O – OH– युग्मों को संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म कहते हैं। अतः संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म में केवल एक प्रोटॉन (H+) का अन्तर होता है।
अन्य उदाहरण
लुइस संकल्पना-लुइस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करते हैं तथा क्षार वे पदार्थ होते हैं जो इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागते हैं। अतः अम्ल इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही तथा क्षार इलेक्ट्रॉन युग्म दाता होते हैं।
जैसे- BE3, अम्ल + :NH3, क्षार → F3B ← NH3
लुइस अम्ल तथा लुइस क्षार आपस में मिलकर उपसहसंयोजक बन्ध द्वारा योगात्मक यौगिक बनाते हैं। उपरोक्त उदाहरण में BF3, अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए अमोनिया से एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर रहा है।
इस संकल्पना के अनुसार इलेक्ट्रॉन की कमी वाले यौगिक अम्ल का कार्य करते हैं। साधारणतया धनायन, या वे यौगिक जिनका अष्टक अपूर्ण होता है, लुइस अम्ल होते हैं। जैसे-BF3, AlCl3, Mg+2, Na+ आदि।
इलेक्ट्रॉन धनी या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म रखने वाले यौगिक लुइस क्षार का कार्य करते हैं। उदाहरण-H2O::, :NH3, OH–, Cl– आदि।।
अतः केवल H+ या OH- युक्त पदार्थ ही अम्ल एवं क्षार नहीं होते हैं। इन संकल्पनाओं के आधार पर हाइड्रोजन रहित यौगिको के अम्लीय तथा क्षारीय गुणों की व्याख्या भी की जा सकती है।
प्रश्न 33.
pH के सामान्य जीवन में उपयोग बताइए।
उत्तर-
हमारे सामान्य जीवन (दैनिक जीवन) में pH के उपयोग निम्नलिखित हैं
- उदर में अम्लता- हमारे पाचन तंत्र में pH का बहुत महत्त्व होता है। हमारे उदर के जठर रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) होता है। यह उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। उदर में अम्लता की स्थिति में, उदर अत्यधिक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है, जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। इसके लिए ऐन्टैसिड का उपयोग किया जाता है। यह ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन कर देता है। इसके लिए मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑफ मैगनीशिया) [Mg(OH)2] जैसे दुर्बल क्षारकों को उपयोग किया जाता है।
- दंत क्षय- मुख की pH साधारणतया 6.5 के करीब होती है। खाना खाने के पश्चात् मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन (शर्करा एवं खाद्य पदार्थ) से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं, जो कि मुख की pH कम कर देते हैं। pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का इनैमल, जो कि कैल्सियम फास्फेट का बना होता है, का क्षय होने लग जाता है। अतः भोजन के पश्चात् दंतमंजन या क्षारीय विलयन से मुख की सफाई अवश्य करनी चाहिए, जिससे अम्ल की आधिक्य मात्रा उदासीन हो जाती है, इससे दंतक्षय पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- कीटों का डंक- मधुमक्खी, चींटी तथा मकोड़े जैसे कीटों के डंक अम्ल स्रावित करते हैं, जो हमारी त्वचा के सम्पर्क में आता है। जिसके कारण ही त्वचा पर जलन तथा दर्द होता है। दुर्बल क्षारकीय लवणों जैसे सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) का प्रयोग उस स्थान पर करने पर अम्ल का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
- अम्ल वर्षा- वर्षा के जल को सामान्यतः शुद्ध माना जाता है लेकिन जब वर्षा के जल की pH 5.6 से कम हो जाती है तो इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। इस वर्षा जल से नदी तथा खेतों की मिट्टी प्रभावित होती है, जिससे फसलों, जीवों तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान होता है। अतः प्रदूषकों को नियंत्रित करके अम्ल वर्षा को कम किया जा सकता है।
- मृदा की pH- अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH की आवश्यकता होती है। अतः विभिन्न स्थानों की मिट्टी की pH ज्ञात करके उसमें बोई जाने वाली फसलों का चयन किया जा सकता है तथा आवश्यकता अनुसार उसका उपचार किया जाता है। जब मिट्टी अधिक अम्लीय होती है तो उसमें चूना (CaO) मिलाया जाता है तथा मिट्टी के क्षारीय होने पर उसमें कोई अम्लीय पदार्थ मिलाकर उचित pH पर लाया जाता है। pH के अनुसार ही उपयुक्त उर्वरक का प्रयोग किया जाता है, जिससे अच्छी फसल प्राप्त होती है।
प्रश्न 34.
निम्नलिखित के नाम, बनाने की विधि तथा उपयोग लिखिए
(i) NaOH
(ii) NaHCO3
(iii) Na2CO3.10H2O
(iv) CaOCl2,
(v) CaSO4.½H2O
उत्तर-
(i) NaOH-इसका नाम सोडियम हाइड्रॉक्साइड है तथा इसे कास्टिक सोडा भी कहते हैं।
बनाने की विधि-औद्योगिक स्तर पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में एनोड पर क्लोरीन गैस तथा कैथोड पर हाइड्रोजन गैस बनती है। इसके साथ ही कैथोड पर विलयन के रूप में सोडियम हाइड्रॉक्साइड भी प्राप्त होता है।
2NaCl(aq) + 2H2O → 2NaOH(aq) + Cl2(g) + H(g)
उपयोग- NaOH के उपयोग निम्न हैं
- साबुन, कागज, सिल्क उद्योग तथा अन्य रसायनों के निर्माण में
- बॉक्साइट के धातुकर्म में
- पेट्रोलियम के शोधन में
- वसा तथा तेलों के निर्माण में
- प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में
(ii) NaHCO3-इसे बेकिंग सोडा या खाने का सोडा कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है।
बनाने की विधि-
(a) NaCl की NH3 तथा CO2 गैस से अभिक्रिया द्वारा NaHCO3 का निर्माण किया जाता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl अमोनियम क्लोराइड + NaHCO3
(b) सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाईऑक्साइड गैस प्रवाहित करने से भी NaHCO3 का निर्माण होता है।
Na2CO3 सोडियम कार्बोनेट + CO2 + H2O → 2NaHCO3 सोडियम हाइड्रोजन ,कार्बोनेट
उपयोग-NaHCO3 के उपयोग निम्न प्रकार हैं
- खाद्य पदार्थों में बेकिंग पाउडर के रूप में, जो कि बेकिंग सोडा तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है।
- सोडा वाटर तथा सोडायुक्त शीतल पेय बनाने में,
- पेट की अम्लता को दूर करने में एन्टा एसिड के रूप में,
- मंद पूतिरोधी के रूप में,
- अग्निशामक यंत्र में,
- प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
(iii) Na2CO3.10H2O-इसे कपड़े धोने का सोडा ( धावन सोडा) कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है।
बनाने की विधि-
(a) सोडियम कार्बोनेट का निर्माण साल्वे विधि से किया जाता है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रयुक्त किया जाता है।
(b) बेकिंग सोडा को गर्म करने पर भी सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है। इसका पुनः क्रिस्टलीकरण करने पर कपड़े धोने का सोडा प्राप्त होता है।
उपयोग- धावन सोडा के उपयोग निम्न हैं
- धुलाई एवं सफाई में,
- कास्टिक सोडा, बेकिंग पाउडर, काँच, साबुन तथा बोरेक्स के निर्माण में,
- अपमार्जक के रूप में,
- कागज, पेन्ट तथा वस्त्र उद्योग में,
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
(iv) CaOCl2– इसे विरंजक चूर्ण कहते हैं तथा इसका रासायनिक नाम कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड है।
बनाने की विधि-शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करने से विरंजक चूर्ण बनता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O
कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड
उपयोग-विरंजक चूर्ण के उपयोग निम्न हैं
- वस्त्र उद्योग तथा कागज उद्योग में विरंजक के रूप में,
- पेयजल को शुद्ध करने में,
- रोगाणुनाशक एवं ऑक्सीकारक के रूप में,
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
(v) CaSO4.½H2O-इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस (P.O.P) कहते हैं। इसका रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट (हेमी हाइड्रेट) है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सर्वप्रथम जिप्सम को गर्म करके इसे बनाया गया था अतः इसका नाम प्लास्टर ऑफ पेरिस रख दिया गया।
बनाने की विधि
जिप्सम (CaSO4.2H2O) को 393K ताप पर गर्म करने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस प्राप्त होता है।
P.O.P. को और अधिक गर्म करने पर सम्पूर्ण क्रिस्टलन जल बाहर निकल जाता है और मृत तापित प्लास्टर [CaSO4] प्राप्त होता है।
उपयोग- प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्न हैं
- टूटी हुई हड्डियों को सही स्थान पर स्थिर करने तथा जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में,
- अग्निसह पदार्थ के रूप में,
- भवन निर्माण में,
- दंत चिकित्सा में,
- मूर्तियाँ तथा सजावटी सामान बनाने में।
प्रश्न 35.
मिसेल कैसे बनते हैं? क्रियाविधि भी दें।
उत्तर-
साबुन तथा अपमार्जक, मिसेल बनाकर ही शोधन की क्रिया करते हैं। सर्वप्रथम साबुन (जैसे सोडियम स्टिएरेट) के अणुओं का जल में आयनन होता है।
C17H35COONa → C17H35COO– + Na+
सोडियम स्टिएरेट
इसे सामान्य सूत्र के रूप में इस प्रकार भी लिख सकते हैं|
R COONa → R COO– + Na+
इसमें हाइड्रोकार्बन पूंछ (R) जल विरोधी तथा ध्रुवीय सिरा जल स्नेही होता है। ये दोनों भाग इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि हाइड्रोकार्बन भाग चिकनाई के अंदर की तरफ तथा ऋणावेशित ध्रुवीय सिरा बाहर की तरफ होता है। इसे मिसेल कहते हैं ।
क्रियाविधि-अधिकांश गंदगी, तेल की बूंद तथा चिकनाई जल में अघुलनशील परन्तु हाइड्रोकार्बन में घुलनशील होती है। साबुन के द्वारा सफाई की प्रक्रिया में चिकनाई के चारों तरफ साबुन के अणु मिसेल बनाते हैं। इसमें जल विरोधी हाइड्रोकार्बन भाग चिकनाई को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा जलस्नेही ध्रुवीय भाग बाहर की तरफ रहता है। इस प्रकार यह चिकनाई को चारों ओर से घेर कर मिसेल बना लेता है। बाहरी सिरे पर उपस्थित ध्रुवीय सिरे जल से आकर्षित होते हैं, इससे सम्पूर्ण चिकनाई जल की तरफ खिंचकर बाहर निकल जाती है।
शोधन क्रिया-साबुन के द्वारा घिरी चिकनाई की बूंद (मिसेल)
सभी मिसेल ऋणावेशित (समान आवेशित) होते हैं अतः इनका अवक्षेपण नहीं होता है तथा ये मिसेल, विलयन में कोलॉइडी अवस्था में रहते हैं। इस प्रकार जब गंदे कपड़े को साबुन लगाने के पश्चात् पानी में डालकर निकाला जाता है तो गंदगी कपड़े से पृथक् होकर पानी में आ जाती है तथा कपड़ा साफ हो जाता है।