Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश

Chapter 9 प्रकाश


पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. निम्न में से कौनसे दर्पण में वृहद दृष्टि क्षेत्र दिखेगा
(क) समतल दर्पण
(ख) उत्तल दर्पण
(ग) अवतल दर्पण
(घ) परवलियक दर्पण

2. प्रकाश का वेग सर्वाधिक होगा
(क) पानी में
(ख) कांच में
(ग) निर्वात में
(घ) ग्लिसरीन में

3. किस प्रभाव के कारण टंकी के पेंदे पर रखा सिक्का थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है
(क) अपवर्तन
(ख) परावर्तन
(ग) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(घ) इनमें से कोई नहीं

4. यदि एक दर्पण की फोकस दूरी + 60 सेमी. है तो यह दर्पण होगा
(क) अवतल दर्पण
(ख) परवलिय दर्पण
(ग) समतल दर्पण
(घ) उत्तल दर्पण

5. एक समतल दर्पण की फोकस दूरी होगी
(क) 0
(ख) 1
(ग) अनन्त
(घ) इनमें से कोई नहीं

6. एक उत्तल दर्पण में सदैव प्रतिबिम्ब बनेगा
(क) वास्तविक व सीधा
(ख) वास्तविक व उल्टा
(ग) आभासी व उल्टा
(घ) आभासी व सीधा

7. एक लेंस की क्षमता + 2 डायप्टर है तो उसकी फोकस दूरी होगी-
(क) 2 मीटर
(ख) 1 मीटर
(ग) 0.5 मीटर
(घ) 0.2 मीटर

8. दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को
(क) निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी
(ख) दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी
(ग) निकट व दूर दोनों ही वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देंगी
(घ) इनमें से कोई नहीं

9. एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 15 cm. है तो बिम्ब को लेंस से कितनी दूरी पर रखा जाए कि प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं बिम्ब के बराबर आकार का बने?
(क) 30 crm.
(ख) 15 cm.
(ग) 60 cm.
(घ) इनमें से कोई नहीं

10. एक 20 cm. फोकस दूरी के अवतल लेंस के सम्मुख बिम्ब अनन्त पर रखा है। आभासी प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी कितनी होगी?
(क) 10 cm.
(ख) 15 cm
(ग) 20 cm.
(घ) अनन्त पर

उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (ग)
3. (क)
4. (घ)
5. (ग)
6. (घ)
7. (ग)
8. (ख)
9. (क)
10. (ग)।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह वस्तु हमें किस रंग की दिखाई देगी?
उत्तर-
वह वस्तु हमें काली दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 2.
यदि हम समतल दर्पण में हमारा पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहें तो दर्पण की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिये ?
उत्तर-
किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए उस व्यक्ति की लम्बाई की आधी लम्बाई का समतल दर्पण चाहिए।

प्रश्न 3.
एक समतल दर्पण पर प्रकाश की किरण 30° कोण पर आपतित हो रही है तो परावर्तित किरण एवं आपतित किरण के मध्य कितना कोण बनेगा?
उत्तर-
60°
∵ परावर्तित किरण एवं आपतित किरण के मध्य कोण
θ = ∠i + ∠r = 30° + 30° = 60°

प्रश्न 4.
उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • उत्तल दर्पण में बड़ी वस्तुओं के छोटे प्रतिबिम्ब प्राप्त करके सजावट के लिए उपयोग में लेते हैं।
  • इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 5.
अवतल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • बड़ी फोकस दूरी का अवतल दर्पण हजामत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे का आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
  • अवतल दर्पण परावर्तक दूरदर्शी में काम में लेते हैं। इससे दूरदर्शी की विभेदन क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 6.
दर्पण सूत्र लिखिये।
उत्तर-
ध्रुव से बिम्ब की दूरी u, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं ध्रुव से फोकस दूरी f ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।
\frac { 1 }{ v } +\frac { 1 }{ u } =\frac { 1 }{ f }

प्रश्न 7.
गोलीय दर्पण के लिये वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दूरी में सम्बन्ध बताइये।
उत्तर-किसी गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दोगुनी होती है।
अर्थात् R = 2f
f=  \frac { 1 }{ 2 } R

प्रश्न 8.
आवर्धनता का सूत्र दीजिये।।
उत्तर-
यदि बिम्ब की ऊँचाई h हो एवं प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ हो तो गोलीय दर्पण से उत्पन्न आवर्धनता ।
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प्रश्न 9.
स्नेल का नियम लिखिये ।।
उत्तर-
अपवर्तन के दौरान अपवर्तन में आपतन कोण i की ज्या एवं अपवर्तन कोण r की ज्या का अनुपात स्थिर रहता है।
\frac { sini }{ sinr }  = नियतांक
यह अपवर्तन का दूसरा नियम है जिसे स्नेल का नियम कहते हैं।

प्रश्न 10.
लेंस सूत्र लिखिये।
उत्तर-
किसी लेंस के लिए बिम्ब दूरी u, प्रतिबिम्ब दूरी v व फोकस दूरी f हो तो लेंस सूत्र निम्न होता है
\frac { 1 }{ v } +\frac { 1 }{ u } =\frac { 1 }{ f }

प्रश्न 11.
एक वस्तु से समान्तर किरणें उत्तल लेंस पर आपतित होती हैं तो उस वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
उत्तर-
प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस पर बनेगा।

प्रश्न 12.
लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिये।
उत्तर-
लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी की व्युत्क्रम होती है। अर्थात्
P=\frac { 1 }{ f }
यदि f मीटर में है तो P का मात्रक डाइऑप्टर (Dioptre) होता है।

प्रश्न 13.
निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को कौनसी स्थिति में वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं ?
उत्तर-
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी हुई वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता है।

प्रश्न 14.
उचित क्षमता का उत्तल लेंस लगा कर कौनसा दृष्टि दोष दूर किया जाता है?
उत्तर-
दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है ।

प्रश्न 15.
मोतियाबिन्द क्या है?
उत्तर-
व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है एवं वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं।

प्रश्न 16.
एक शेविंग दर्पण में हमें अपना प्रतिबिम्ब कैसा दिखता है?
उत्तर-
आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब दिखता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नियमित परावर्तन व विसरित परावर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर-
नियमित परावर्तन (Regular Reflection)-चित्र के अनुसार, किसी भी चिकने पृष्ठ पर आपतित किरण पुञ्ज के एक विशिष्ट दिशा में पुनः उसी माध्यम में प्रक्षेपण को ‘नियमित परावर्तन’ कहते हैं
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विसरित परावर्तन (Diffused Reflection)-चित्र के अनुसार, सूर्य का प्रकाश एक निश्चित दिशा से आपतित है परन्तु दीवार पर गिरने के पश्चात् वह विभिन्न दिशाओं में फैल जाता है अर्थात् विसरित हो जाता है।
खुरदुरे पृष्ठों द्वारा प्रकाश के समान रूप से चारों ओर बिखरने के प्रभाव को ‘विसरित परावर्तन’ कहते हैं।
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प्रश्न 2.
पार्श्व परावर्तन क्या है? समझाइये।
उत्तर-
समतल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिम्ब आभासी होता है। वह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे दर्पण से उतनी ही दूरी पर दिखाई देता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने स्थित है। प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार जितना ही होता है। दर्पण के सामने खड़े होकर जब हम अपने प्रतिबिम्ब को देखते हैं तो हम पाते हैं। कि हमारा दायां भाग प्रतिबिम्ब का बायां भाग बन जाता है। इसी प्रकार यदि एक कागज पर आप p लिखकर उसे दर्पण की ओर करते हैं तो हमें दर्पण में q दिखाई देता है। समतल दर्पण में दिखाई पड़ने वाले इस परिवर्तन को पाश्र्व परावर्तन (Lateral Inversion) कहते हैं।

प्रश्न 3.
यदि एक बिम्ब अवतल दर्पण के वक्रता त्रिज्या एवं फोकस के बीच में रखा है तो किरण चित्र द्वारा प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्शाइये।
उत्तर-
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इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र C तथा अनन्त के मध्य होगी और प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और प्रतिबम्ब से बड़ा होगा।

प्रश्न 4.
गोलीय दर्पणों के लिए कार्तीय चिह्न परिपाटी को समझाइये।।
उत्तर-
इस पद्धति में हम दर्पण के ध्रुव को मूल बिन्दु मानते हैं। और दर्पण के मुख्य अक्ष को निर्देशांक पद्धति का X-अक्ष लिया जाता है।
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इसके नियम निम्न प्रकार से हैं

  • मुख्य अक्ष से समान्तर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव (मूल बिन्दु) से ली जाती हैं ।
  • बिम्ब दर्पण के बाईं.ओर रखा जाता है अर्थात् बिम्ब से आने वाली किरणें दर्पण पर सदैव बाईं ओर से आपतित होती हैं।
  • मुख्य अक्ष के समान्तर मूल बिन्दु से बाईं ओर (-x अक्ष के अनुदिश) की सभी दूरियाँ ऋणात्मक ली जाती हैं।
    उदाहरणार्थ-उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण दोनों में ही बिम्ब की दूरी हमेशा ऋणात्मक होगी। इसी प्रकार मूल बिन्दु के दायीं ओर (+ x अक्ष के अनुदिश) की सभी दूरियाँ धनात्मक ली जाती हैं।
  • मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर लम्बवत् मापी जाने वाली दूरियाँ (+ y अक्ष के अनुदिश) धनात्मक ली जाती हैं जबकि मुख्य अक्ष के नीचे की ओर लम्बवत् । मापी जाने वाली दूरियाँ (- y अक्ष के अनुदिश) ऋणात्मक मानी जाती हैं।

कार्तीय चिह्न पद्धति के अनुसार अवतल दर्पण की फोकस दूरी एवं वक्रता त्रिज्या भी सदैव ऋणात्मक होगी। अवतल दर्पण में जब प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने बायीं ओर बनेगा तो उसकी दूरी ऋणात्मक लेते हैं। यदि दायीं ओर अर्थात् पीछे बनेगा तो उसकी दूरी धनात्मक लेंगे।

जब प्रतिबिम्ब सीधा होगा तो उसकी लम्बाई धनात्मक लेंगे एवं जब प्रतिबिम्ब उलटा व मुख्य अक्ष के नीचे की ओर हो तो उसकी लम्बाई ऋणात्मक लेंगे। इस पद्धति के अनुसार एक उत्तल दर्पण के लिये भी बिम्ब की दूरी हमेशा ऋणात्मक होगी। चूंकि उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दूरी हमेशा दर्पण के पीछे (दाईं ओर) होती है अतः ये दोनों हमेशा धनात्मक होंगे। उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा दर्पण के पीछे बनता है अतः प्रतिबिम्ब की दूरी हमेशा धनात्मक होगी। इसी तरह उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा बनता है अतः प्रतिबिम्ब की लम्बाई धनात्मक लेंगे।

प्रश्न 5.
प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या कीजिये एवं अपवर्तन के नियम लिखिये।
उत्तर-
अपवर्तन-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।
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जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करता है तो अभिलम्ब की ओर झुक जाता है। परन्तु, जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तो अभिलम्ब से दूर हट जाता है।
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अपवर्तन का कारण-दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग अलग-अलग होने के कारण ही प्रकाश का अपवर्तन होता है।
अपवर्तन के नियम-

  1. प्रथम नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
  2. द्वितीय नियम (स्नेल का अपवर्तन नियम)-प्रकाश की किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन् कोण की ज्या (sin i) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात निश्चित रहता है।

\frac { sini }{ sinr }  = नियतांक
यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
{ \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }

प्रश्न 6.
उत्तल लेंस व अवतल लेंस के विभिन्न प्रकार बताइये।
उत्तर-
उत्तल लेंस के प्रकार-उत्तल लेंस तीन प्रकार के होते हैं

  1. उभयोत्तल लेंस (Double convex Lens)-इनके दोनों पृष्ठ उत्तल होते हैं।
  2. समतलोत्तल लेंस (Plano convex Lens)-इनका एक पृष्ठ उत्तल एवं एक पृष्ठ समतल होता है।
  3. अवतलोत्तल लेंस (Concave convex Lens)–इनका एक पृष्ठ अवतल एवं एक पृष्ठ उत्तल होता है।

गोलीय पृष्ठ की वक्रता लगभग बराबर होने की अवस्था में एक उभयोत्तल लेंस की फोकसन क्षमता दूसरे दोनों लेंस से ज्यादा होती है।
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अवतल लेंस के प्रकार-अवतल लेंस भी तीन प्रकार के होते हैं

  1. उभयावतल लेंस (Double Concave Lens)-इनके दोनों पृष्ठ अवतल होते हैं।
  2. समतलावतल लेंस (Plano Concave Lens)-इनका एक पृष्ठ समतल एवं दूसरा पृष्ठ अवतल होता है।
  3. उत्तलावतल लेंस (Convexo Concave Lens)-इनका एक पृष्ठ उत्तल एवं दूसरा पृष्ठ अवतल होता है।
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प्रश्न 7.
गोलीय लेंस के लिये मुख्य फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र को परिभाषित कीजिये।
उत्तर-
मुख्य फोकस-मुख्य अक्ष के समान्तर लेंस पर आपतित किरणें अपवर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु पर जाकर मिलती हैं अथवा मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे मुख्य फोकस कहते हैं। लेंस के दोनों ओर दो मुख्य फोकस होते हैं। परिपाटी के अनुसार बाईं ओर से किरणें आपतित होती हैं। बाईं ओर के फोकस को F1 व दाईं ओर के फोकस को F2 से निरूपित किया जाता है।

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प्रकाशिक केन्द्र-किसी लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जहाँ से गुजरने वाली प्रकाश किरण बिना मुड़े ही सीधी अपवर्तित हो जाती है, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है। यदि लेंस की दोनों वक्रता त्रिज्यायें समान हों (R1 = R2) तो प्रकाश केन्द्र मुख्य अक्ष पर ठीक लेंस के बीच में होगा।

प्रश्न 8.
गोलीय लेंस के लिये वक्रता त्रिज्या एवं वक्रता केन्द्र किसे कहते
उत्तर-

  • वक्रता त्रिज्या- लेंस के वक्र पृष्ठों की त्रिज्यायें हैं, इन्हें हम प्रथम व द्वितीय पृष्ठों की वक्रता त्रिज्यायें कहते हैं। लेंस के जिस पृष्ठ पर प्रकाश आपतित होता है, उसे प्रथम पृष्ठ और जिस पृष्ठ से प्रकाश बाहर निकलता है, उसे द्वितीय पृष्ठ कहते हैं।
  • वक्रता केन्द्र (Centre of Curvature)- हम लेंस के वक्र पृष्ठों को खोखले गोले का छोटा भाग मान सकते हैं। उन गोलों के केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहते हैं। यदि लेंस के दोनों पृष्ठ वक्र हैं तो उसके वक्रता केन्द्र भी दो होंगे। चित्र में C1 व C2 वक्रता केन्द्र हैं।
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प्रश्न 9.
गोलीय लेंस से अपवर्तन के नियम लिखिये।
उत्तर-
गोलीय लेंस से अपवर्तन नियम-

  1. मुख्य अक्ष के समान्तर गुजरने वाली किरणें उत्तल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से गुजरती हैं। जब ये समान्तर किरणें अवतल लेंस पर आपतित होती हैं तो अपवर्तन के पश्चात् अपसारित हो जाती हैं, जिन्हें पीछे की ओर बढ़ाने पर वे मुख्य फोकस पर मिलती हैं अर्थात् अपवर्तन के पश्चात् ऐसी किरणें मुख्य फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9
  2. ऐसी प्रकाश किरणें जो उत्तले लेंस के मुख्य फोकस से होते हुए लेंस पर आपतित होती हैं तो अपवर्तन के पश्चात् वे किरणें मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं। यदि प्रकाश किरणें अवतल लेंस पर मुख्य फोकस की ओर आती हुई प्रतीत होती हैं तो वे किरणे अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं। [चित्र (अ) तथा (ब) में देखें]
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9.1
  3. प्रकाश किरण जब लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से गुजरती है तो अपवर्तन के पश्चात् उसकी दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
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प्रश्न 10.
अवतल लेंस से प्रतिबिम्ब निर्माण को किरण चित्रों द्वारा समझाइये।
उत्तर-

  • जब बिम्ब अनन्त पर हो-अनन्त से आने वाली समान्तर किरणें अवतल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् अपसारित हो जाती हैं, जिन्हें पीछे बढ़ाने पर बिम्ब का आभासी, अत्यधिक छोटा एवं सीधा प्रतिबिम्ब फोकस अथवा फोकस तल पर बनता है। यदि किरणें मुख्य के समान्तर आती हैं तो प्रतिबिम्ब फोकस पर बनता है। यदि समान्तर किरणें मुख्य अक्ष से कुछ झुकी हुई आती हैं तो प्रतिबिम्ब फोकस तल पर बनता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 10
  • जब बिम्ब सीमित दूरी पर स्थित हो–यदि बिम्ब अवतल लेंस से किसी सीमित दूरी पर हो (अनन्त व प्रकाशिक केन्द्र के बीच) तो बिम्ब का आभासी, सीधा एवं बिम्ब से छोटा प्रतिबिम्ब बनता है। जैसे-जैसे बिम्ब को लेंस के पास लाते जायेंगे, तब प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जायेगा किन्तु उसका आकार हमेशा बिम्ब (वस्तु) से छोटा ही होगा।
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प्रश्न 11.
लेंस की क्षमता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
लेंस की क्षमता—किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा (Degree) को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे P से व्यक्त करते हैं।
किसी f फोकस दूरी के लेंस की क्षमता,
P=\frac { 1 }{ f }
लेंस की क्षमता का SI मात्रक ‘डाइऑप्टर’ (Dioptre) है। इसे D से व्यक्त करते हैं। यदि f को मीटर में व्यक्त करें तो क्षमता को डाइऑप्टर में व्यक्त किया जाता है। इस प्रकार 1 डाइऑप्टर उस लेंस की क्षमता है, जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो।
अतः
1D = 1m-1
उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती हैं।

प्रश्न 12.
निकट दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं? इसे कैसे दूर किया जाता है?
उत्तर-
निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुयें तो स्पष्ट दिखाई देती हैं किन्तु दूर की वस्तुयें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। इस दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस की वक्रता का बढ़ जाना है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र में दूर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले ही बन जाता है जबकि कुछ दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। एक प्रकार से उस व्यक्ति को दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता है। इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। वर्तमान में लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।

प्रश्न 13.
दूर दृष्टि दोष क्या है? इसका निवारण कैसे किया जाता है? .
उत्तर-
दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुयें तो स्पष्ट दिखाई देती हैं। परन्तु पास की वस्तुयें स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 cm) से वस्तुयें धुंधली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं, वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिन्दु दूर हो जाता है। इसके निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है।

प्रश्न 14.
जरा-दृष्टि दोष एवं दृष्टि वैषम्य दोष क्या हैं?
उत्तर-
जरा दृष्टि दोष-इस दोष में निकट और दूर दोनों प्रकार की वस्तुयें। साफ दिखाई नहीं देती हैं। इसे दूर करने के लिए द्विफोकसी (Bifocal) लेंस का उपयोग किया जाता है। इन लेंसों का ऊपरी भाग अवतल एवं नीचे का भाग उत्तल होता है।

दृष्टि वैषम्य दोष-दृष्टि वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखायें एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसके निवारण के लिए बेलनाकार लेंस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 15.
नेत्र की समंजन क्षमता व दृष्टि परास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आँख की समंजन क्षमता-नेत्र लेंस की फोकस दूरी उससे सम्बद्ध मांसपेशियों द्वारा आसानी से बदली जा सकती है। अतः अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन क्षमता कहलाती है।

दृष्टि परास-स्वस्थ नेत्र का दूर बिन्दु अनन्त पर होता है तथा निकटतम बिन्दु 25 सेमी. पर होता है। निकटतम तथा दूर बिन्दु के बीच की दूरी को दृष्टि परास {ratige of vision) कहते हैं ।

प्रश्न 16.
एक बिम्ब उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर अनन्त व 2F1 के बीच रखा है। प्रतिबिम्ब की स्थिति किरण चित्र द्वारा समझाइये।
उत्तर-
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इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति F2 व 2F2 के बीच में स्थित होगी। प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और बिम्ब से छोटा होगा।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक अवतल दर्पण के लिये बिम्ब की निम्न स्थितियों में प्रतिबिम्ब की स्थिति व प्रकृति के बारे में किरण चित्र बनाकर समझाइये–

  1. जब बिम्ब अनन्त व वक्रता केन्द्र के बीच हो
  2. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र पर हो
  3. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र व फोकस के बीच हो
  4. जब बिम्ब फोकस पर हो
  5. जब बिम्ब फोकस व ध्रुव के बीच हो।

उत्तर-

  1. जब बिम्ब अनन्त व वक्रता केन्द्र के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब फोकस F व वक्रता केन्द्र C के बीच में बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा होता है और प्रतिबिम्ब का आकार छोटा होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
  2. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र पर हो- इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र C पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा होता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के समान आकार का होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
  3. जब बिम्बे वक्रता केन्द्र व फोकस के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र C से दूर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के आकार से बड़ा बनता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.2
  4. जब बिम्ब फोकस पर हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बहुत बड़ा बनता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.3
  5. जब बिम्ब फोकस व ध्रुव के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा बनता है और इसका स्वरूप को आकार बड़ा बनता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.4

प्रश्न 2.
अपवर्तन से आप क्या समझते हैं? अपवर्तन के नियम लिखिये एवं कांच के स्लैब की सहायता से प्रकाश किरण के अपवर्तन को समझाइये।
उत्तर-
अपवर्तन-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है। अपवर्तन का कारणं-दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग अलग-अलग होने के कारण ही प्रकाश का अपवर्तन होता है।।
अपवर्तन के नियम–

  • प्रथम नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
  • द्वितीय नियम (स्नेल का अपवर्तन नियम)-प्रकाश की किसी
    निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sini) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात स्थिर रहता है।
    \frac { sini }{ sinr }  = नियतांक

यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक 2i कहते हैं।
{ \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }

काँच की स्लैब की सहायता से प्रकाश किरण का अपवर्तन-
अपवर्तन के प्रथम नियम की पुष्टि के लिये चित्रानुसार काँच की एक आयताकार सिल्ली ABCD लेते हैं। सिल्ली को सफेद कागज पर रखते हैं।

PQ प्रकाश की एक किरण है जो सिल्ली के एक फलक AB पर (कागज के तल को स्पर्श करती हुई) आपतित है। जब बिन्दु Q पर यह काँच में प्रवेश करती है। तब अपनी मूल दिशा से विचलित होकर OR दिशा में अपवर्तित हो जाती है, तदुपरान्त RS दिशा में सिल्ली से बाहर निकल जाती है। QR और RS को क्रमशः अपवर्तित एवं निर्गत किरण कहते हैं। हम देखते हैं कि आपतित किरण PO, अपवर्तित किरण OR तथा अभिलम्ब ON तीनों विभिन्न तल में न होकर कागज के एक तल में ही हैं। अर्थात् आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं। यही अपवर्तन का पहला नियम है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2
चित्र-काँच की आयताकार सिल्ली से प्रकाश को अपवर्तन
Q को R से मिलाने पर अपवर्तित किरण QR प्राप्त होती है। अब सिल्ली की सतह पर Q बिन्दु से अभिलम्ब खींचकर आपतन कोण i और अपवर्तन कोण r का मान ज्ञात करते हैं। सिल्ली पर प्रकाश की किरण अलग-अलग कोण पर आपतित करते हुए। और r के विभिन्न मान ज्ञात करते हैं। गणना करने पर हम देखते हैं कि  \frac { sini }{ sinr }  का मान सदैव निश्चित रहता है। इसे स्थिरांक µ लिखते हैं। यही अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
{ \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }
यदि प्रकाश निर्वात से किसी माध्य में प्रवेश करता है तो उस माध्यम के निर्वात के सापेक्ष अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसी प्रकार किसी माध्यम के हवा के सापेक्ष अपवर्तनांक को प्रकाश के हवा में वेग एवं प्रकाश के उस माध्यम में वेग के अनुपात से भी दर्शाया जाता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2.1
अपवर्तनांक माध्य की प्रकृति घनत्व एवं प्रकाश के रंग (तरंगदैर्घ्य) पर भी निर्भर करता है। यह ध्यान रहे कि बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है व लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे कम होता है।

प्रश्न 3.
एक उत्तल दर्पण के लिये बिम्ब की निम्न स्थितियों में प्रतिबिम्ब की स्थिति व प्रकृति के बारे में किरण चित्र बनाकर समझाइये

  • जब बिम्ब अनन्त पर हो
  • जब बिम्ब किसी निश्चित दूरी पर हो।

उत्तर-

  • जब बिम्ब अनन्त पर हो-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
    बिम्ब की इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा होता है। प्रतिबिम्ब का आकार अत्यधिक छोटा बिन्दुवत होता है।
  • जब बिम्ब किसी निश्चित दूरी पर हो-बिम्ब की इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा होता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से काफी छोटा होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3.1

प्रश्न 4.
किरण चित्रों की सहायता से एक अवतल लेंस में प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप को समझाइये जबकि बिम्ब

  • लेंस के फोकस बिन्दु पर हो
  • फोकस F1 वे 2F1 के बीच हो
  • 2F1 से अनन्त के बीच हो।

उत्तर-

  • बिम्ब लेंस के फोकस बिन्दु पर हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
    प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से छोटा है।
  • बिम्ब फोकस F1 वे 2F1 के बीच हो-प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिन्दु (i) के आकार से छोटा है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1
  • बिम्ब 2F1 से अनन्त के बीच हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.2
    प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिन्दु (ii) की तुलना में छोटा है।
    नोट-बिम्ब जितना अवतल लेंस से दूर होगा उसका प्रतिबिम्ब उतना ही छोटा व फोकस की तरफ होगा।

प्रश्न 5.
किरण चित्र बनाते हुए उत्तल लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति एवं स्थिति बताइये जबकि बिम्ब

  1. फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के मध्य हो
  2. फोकस पर हो
  3. फोकस F1 व 2F1 के बीच हो
  4. 2F1 पर हो
  5. 2F1 एवं अनन्त के बीच हो

उत्तर-

  1. फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के मध्य हों
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति लेंस के उसी तरफ बिम्ब की ओर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से बड़ा बनता है।
  2. फोकस पर हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.1
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति अनन्त पर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार अत्यधिक आवर्धित होता है।
  3. फोकस F1 व 2F1 के बीच हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.2
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति 2F2 व अनन्त के बीच बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से बड़ा होता है।
  4. 2F1 पर हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति 2F2 पर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के आकार के बराबर बनता है।
  5. 2F1 एवं अनन्त के बीच हो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.1

प्रश्न 6.
नेत्र दृष्टि दोषों के बारे में विस्तार से समझाते हुए उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
उत्तर-
नेत्र दृष्टि दोष एवं उनका निराकरण-उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में समंजन क्षमता कम होने से, चोट लगने से, नेत्रों पर अत्यधिक तनाव आदि अनेक कारणों से नेत्रों की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है या उनकी ये क्षमता खत्म हो जाती है अर्थात् नेत्र की दृष्टि परास अर्थात् समंजन सीमायें 0.25 मीटर से अनन्त तक नहीं होती हैं, तो उस नेत्र को दोषयुक्त नेत्र कहते हैं। नेत्र में दृष्टि सम्बन्धी निम्न प्रकार के दोष होते हैं

(1) निकट दृष्टि दोष (Myopia or short-sightedness)—इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख निकट की वस्तु को साफ देख सकती है, लेकिन दूर की। वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकती है। इस दोष से पीड़ित आँख में बिम्ब दृष्टिपटल के पूर्व ही बन जाता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण हैं

  • अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा
  • नेत्र गोलक का लम्बा होना।।

इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। अवतल लेंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को इतना अपसारित करता है जिससे वे किरणें उस बिन्दु से आती हुई प्रतीत हों जो दोषयुक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने को दूर बिन्दु है। आजकल लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
चित्र-(a) निकट-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र, (b) निकट-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का दूर| बिन्दु (c) अवतल लेंस के उपयोग द्वारा निकट-दृष्टि दोष का संशोधन

(2) दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long-sightedness)-इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकती है लेकिन निकट की वस्तु को साफ नहीं देख सकती है। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 cm) से वस्तुयें धुंधली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं, वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट बिन्दु दूर हो जाता है। दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। यह लेंस पास की वस्तु का आभासी प्रतिक्रिया उतना दूर बनाता है, जितना कि दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु है। इससे पुनः नेत्र की निकट की वस्तुयें स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6.1
चित्र–(a), (b) दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र तथा (c) दीर्घ-दृष्टि दोष को संशोधन

(3) जरा दृष्टि दोष (Presbyopia)-आयु में वृद्धि के साथ नेत्र के लेंस को लचीलापन कम हो जाता है तथा नेत्र की समंजन क्षमता भी घटती जाती है। इस कारण से दूर एवं पास दोनों ही वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं। इस दोष को जरा दृष्टि दोष कहते हैं। नेत्र के इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोकसी लेंस (bifocal lens) प्रयुक्त किए जाते हैं। सामान्य प्रकार के द्विफोकसी लेंसों में नीचे का भाग उत्तल लेंस (पास की वस्तुओं को देखने के लिए) एवं ऊपरी भाग अवतल लेंस (दूर की वस्तुओं को देखने के लिए) होता है।

(4) दृष्टि वैषम्य दोष (Astigmatism)-दृष्टि-वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है।

(5) मोतियाबिन्द (Cataract)-व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है। इससे प्रभावित व्यक्ति को वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं।

इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र लेंस को हटाना पड़ता है। पहले शल्य चिकित्सा द्वारा मोतियाबिन्द को निकाल दिया जाता था। नेत्र लेंस को निकाल देने से व्यक्ति को मोटा व गहरे रंग का चश्मा लगाना पड़ता था। आधुनिक विधि में मोतियाबिन्द युक्त नेत्र लेंस को हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है जिसे इन्ट्रा आक्युलर लेंस (Intraocular lens) कहते हैं। इससे व्यक्ति को सही दिखाई देने लगता है।

आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि एक बिम्ब 40 cm. पर रखा है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति बताइये। प्रतिबिम्ब का आवर्धन भी ज्ञात कीजिये।
हल-
दिया हैदर्पण की फोकस दूरी f= – 30 cm, (∴ अवतल दर्पण है)
बिम्ब की दूरी u= – 40 cm.
प्रतिबिम्ब की स्थिति v = ?
m = ?
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने उसी ओर 120 cm. दूरी पर बनेगा और प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा।
आवर्धनता
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
अर्थात् प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा होगा व बिम्ब से 3 गुना होगा।

प्रश्न 2.
एक बिम्ब का उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब दर्पण से 8 cm. पर दिखाई देता है। यदि दर्पण की फोकस दूरी 16 cm. हो तो दर्पण से बिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिये।
हल-
दिया है
फोकस दूरी।
f = 16 cm.
∵उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है।
प्रतिबिम्ब की दूरी v = 8 cm.
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2
अतः बिम्ब दर्पण से बायीं ओर 16 cm. की दूरी पर है।

प्रश्न 3.
एक 30 cm. फोकस दूरी के उत्तल लेंस से बिम्ब 60 cm. दूरी पर रखा है। यदि बिम्ब की ऊँचाई 3 cm. है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा स्वरूप ज्ञात कीजिये।
हल-
दिया है
फोकस दूरी f = + 30 cm
चूँकि उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक होती है।
बिम्ब की दूरी u = – 60 cm.
बिम्ब की ऊँचाई h = 3 cm.
प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के समान 3 cm. का बनेगा।

प्रश्न 4.
एक बिम्ब उत्तल लेंस से 10 cm दूरी पर रखा है। यदि लेंस की फोकस दूरी 40 cm, हो तो प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप ज्ञात कीजिये।
हल-
बिम्ब की दूरी u = – 10 cm.
फोकस दूरी f= + 40 cm.
∵उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति v = ? लेंस सूत्र से
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
अतः प्रतिबिम्ब की दूरी  13\frac { 1 }{ 3 }  cm. है एवं प्रतिबिम्ब लेंस के बाईं ओर बनता है।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1
यहाँ धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा है। प्रतिबिम्ब बिम्ब का 1.33 गुना आकार का है।

प्रश्न 5.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि एक बिम्ब 20 cm. पर रखा जाता है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप ज्ञात कीजिये।
हल-
दिया है
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= – 30 cm.
बिम्ब दूरी u = – 20 cm.
प्रतिबिम्ब दूरी v = ?
आवर्धनता m = ?
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
अर्थात् प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा एवं बिम्ब से बड़ा (3 गुना) होगा।

प्रश्न 6.
अवतल लेंस के सम्मुख रखे बिम्ब का प्रतिबिम्ब 10 cm. पर बनता है। यदि अवतल लेंस की फोकस दूरी 15 cm. हो तो लेंस से बिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिये।
हल-
दिया है v = – 10 cm.
फोकस दूरी f = – 15 cm.
u = ?
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
अतः लेंस से बिम्ब की दूरी u = – 30 cm, होगी।

प्रश्न 7.
10 cm फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की आवर्धनता ज्ञात कीजिये जबकि लेंस से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
हल-
दिया है
फोकस दूरी f = + 10 cm.
चूँकि उत्तल लेंस में फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।
m = ?
न्यूनतम दूरी के लिए (v) = 25 cm.
अर्थात् लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी v = – 25 cm.
चूँकि लेंस से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बन रहा है इसलिए v व u के चिह्न समान होंगे।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
अतः लेंस की आवर्धनता (m) = 3.5 Ans.

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